चौरा म गोंदा रसिया
मोर बारी म पताल हे
चौरा म गोंदा ।
लाली-गुलाली छींचत अइबे राजा मोर
मैं रहिथंंव छेंव पारा म पूछत अइबे ।
चौरा म गोंदा …
परछी दुवारी म ठाढेच रहिहंव राजा मोर
मन महल म दियना बारेच रहिहंव ।
चौंरा म गोंदा …
छिन-छिन तोरे बिन बरिस लागे राजा मोर
मैं देखत रहूँ रद्दा तैं खिंचत आबे ।
चौंरा म गोंदा … :
ओ मेरे रसिया ! मेरे घर में चबूतरे पर गेंदे के फूल हैं। मेरे राजा, मेरे प्रियतम! मैं लाली- गुलाली की बस्ती के अंतिम छोर पर रहती हूँ। तुम पूछते आना..